Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2018 · 3 min read

सामर्थ्य

सामर्थ्य
…………….

पंडित जी हमारे बैलुन में भगवान गांठ बांध सकते हैं क्या–?-एक चार वर्ष के बच्चे ने हमसे पूछा
….मैं नियमित रुप से पिछले चार वर्षों से प्रतिदिन उस बालक के घर भगवद पूजनार्थ जाया करता था वहाँ नियम से हनुमत सिद्ध मंत्र का जाप होता है वैसे तो यह कार्य बड़े ही शान्ति से एकान्तचित होकर किया जाता है किन्तु बच्चे तो बच्चे ही हैं उन्हें आपके मापदंडों का क्या पता उन्हें तो अपने विनोद प्रमोद से ही लगाव होता है इसमें किसी का कुछ नुकसान हो या किसी का ध्यान भंग हो बच्चों को कोई लेना देना नहीं होता, कारण बाल मन साफ सुथरा, निःस्वार्थ छल कपट से दूर सर्वथा गंगा जल से भी पवित्र व निर्मल होता है।

कईबार इन्होंने हमें भी जाप के दौरान परेशान किया कभी समझाकर हटा देता तो कभी …आपके पापा को बुलाऊंगा एसा भय दिखाकर हटाता , कभी – कभी इतना परेशान करते की गुस्सा भी आता , छीड़क देता और वे हमारे पास से डर कर या फिर क्रुद्ध होकर यह कहते हुए चले जाते की आप बहुत गंदे है मैं मम्मी के पास जा रहा हूँ । मिलाजुलाकर समय धीरे – धीरे बीतता रहा और वह बच्चा मेरे पूजा करने के दौरान मुझसे कटा – कटा सा दुर हीं रहने लगा। लेकिन आज जब बैलुन फुलाने के बाद वह पीचक जा रहा था और उसे सही ढंग से कोई बान्धने वाला पास नहीं दिखा तो उस छोटे से बच्चे ने अपने कार्य सिद्धि के लिए जो प्रश्न किया मैं स्तब्ध सा उस बालक को देखता रहा फिर कुछ क्षणोपरान्त जवाब दिया।

-मैनै कहां… बाबू भगवान तो जीवन के कई अनसुलझी गांठों को नित्यप्रति दिन नजाने कितनी बार खोलते और बांधते है तो भला यह बैलुन क्या चीझ है। मेरे इतना कहते ही उस बालक के चेहरे का भाव बदला वह प्रफुल्लित होकर पूनः सवालिया निगाहों से घूरते हुये मुझसे एक और प्रश्न किया…..
तो क्या भगवान का पूजन करने वाले पंडित जी भी बैलुन का गांठ बांध सकते हैं….?

बच्चे का यह अंतिम प्रश्न मेरे अन्तरमन को झकझोर गया, भगवान के लिए मैने जितने आसानी से निःसंकोच इतनी सारी बातें बोल गया था कि वे जीवन के हर सुलझे अनसुलझे गांठो को रोज ही खोलते और बांधते है किन्तु पंडित जी ऐसा कुछ नहीं कर सकते वह तो दुसरे तो दुसरे अपने जीवन की गांठों को भी दुरुस्त रख पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।….. वैसे इन बातों को मैं उस बच्चे से सहजता के साथ तो नहीं बोल पाया किन्तु अन्तरमन ने आइना अवश्य ही दिखा दिया कि हे मानव तूं असल में एक तुच्छ प्राणी है ……खुद को सर्वसामर्थी मानने की बड़ी भूल ना कर ।

ऐसा प्रतीत हुआ जैसे उस बच्चे का स्वरुप धर स्वं दयानिधि, सर्वसामर्थी, समदर्शी भगवान साक्षात प्रकट होकर कह रहे हों …..आज का मानव जो ईश्वरीय सत्ता को चुनौती देने का उपक्रम कर रहा है वह ठीक नहीं प्रलयकारी है।

खैर मैं इन मन में उपजे विचारों को तुरंत झटक कर उस बालक के सर पे हाथ फेरते हुए स्नेहिल भाव से बोला …। हाँ….पंडित जी भी बैलुन की गांठ बांध सकते हैं ।

इतना सुनना था वह बच्चा भाग कर गया और बैलुन फुलाकर मेरे पास लाया मै उस बैलुन की गाठ बांधने लगा , उस एक बैलुन की गाठ बांधने में मुझे तकरीबन पन्द्रह मीनट लग गये। यह समय बहुत ज्यादा है एक बैलुन की गांठ बांधने के लिए लेकिन उस वक्त ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मैं अपने जीवन के उन तमाम तीतर- बीतत हो चूके पलों को सहेज कर उनमें गांठ बांधने का असफल सा प्रयास कर रहा हूँ।

जबतक मैं गाठ बांधता रहा उस बच्चे के मुखारविंद से प्रस्फुटित दोनों ही प्रश्न और उस बच्चे की अवस्था में अन्तर दिलोदिमाग पर नृत्य करता रहा कारण इस अवस्था और उन प्रश्नों का कोई मेल ही नजर नहीं आ रहा था। बच्चा मुझसे सीधे तौर पर भी कह सकता था पंडित जी मेरे बैलुन की गांठ बांध दीजिये लेकिन तब शायद मै उस कार्य के लिए मना ना कर दूं उन्होंने ईश्वर के नाम का सहारा लिया और मुझे अपने सामर्थ्य का आइना दिखा दिया और मुझे ही क्या संपूर्ण मानवीय सामर्थ्य का आइना।

किन्तु इस कार्य के बाद जब मैं जाप के लिए उद्यत हुआ बड़े ही एकान्तचित भाव से शान्त होकर हनुमत मंत्र का जाप किया । उस दिन भी उस घर में तमाम तरह की हलचल, बच्चों का शोरगुल होता रहा किन्तु एक बार भी मेरी तंद्रा कदापि भंग न हुई और मैं निर्वाध्य होकर जाप करता रहा..।।

©®पं.संजीव शुक्ल :सचिन
20/2/2018

Language: Hindi
489 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all

You may also like these posts

*टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग (कुंडलिया)*
*टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
विषय--विजयी विश्व तिरंगा
विषय--विजयी विश्व तिरंगा
रेखा कापसे
दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!!
दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!!
पंकज परिंदा
"नजरे"
Shakuntla Agarwal
इंतजार
इंतजार
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
5. Tears in God's Eyes
5. Tears in God's Eyes
Santosh Khanna (world record holder)
वर्तमान
वर्तमान
Shyam Sundar Subramanian
रमेशराज का हाइकु-शतक
रमेशराज का हाइकु-शतक
कवि रमेशराज
जब जब भूलने का दिखावा किया,
जब जब भूलने का दिखावा किया,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हिन्दी भाषा
हिन्दी भाषा
surenderpal vaidya
मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा
मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
नए साल की नई सुबह पर,
नए साल की नई सुबह पर,
Anamika Singh
**स्वयं की बात**
**स्वयं की बात**
Dr. Vaishali Verma
बस यूं ही
बस यूं ही
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
पूर्वार्थ
2727.*पूर्णिका*
2727.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"ओम गुरुवे नमः"
Dr. Kishan tandon kranti
सूप नखा का लंका पहुंचना
सूप नखा का लंका पहुंचना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
राधा अष्टमी पर कविता
राधा अष्टमी पर कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
24)”मुस्करा दो”
24)”मुस्करा दो”
Sapna Arora
*कौन है ये अबोध बालक*
*कौन है ये अबोध बालक*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
☝#अनूठा_उपाय-
☝#अनूठा_उपाय-
*प्रणय*
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Tushar Jagawat
मेरा दुश्मन मेरा मन
मेरा दुश्मन मेरा मन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
!!!! सब तरफ हरियाली!!!
!!!! सब तरफ हरियाली!!!
जगदीश लववंशी
युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
Manisha Wandhare
वो दिन क्यों याद
वो दिन क्यों याद
Anant Yadav
संघर्ष का सफर
संघर्ष का सफर
Chitra Bisht
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
DrLakshman Jha Parimal
Waiting for vibes and auras to match with the destined one.
Waiting for vibes and auras to match with the destined one.
Chaahat
Loading...