पंडिता रमाबाई
दयानंद सरस्वती, बाल गंगाधर तिलक, विवेकानंद और रवीन्द्र नाथ टैगोर सहित अपने समय के सभी अतीतजीवी, आत्ममुग्ध और श्रेष्ठता ग्रंथि से पीड़ित स्वघोषित विश्वगुरूओं से पंडिता रमाबाई का वैचारिक टकराव इतिहास के पन्नों से आख़िर क्यों गायब कर दिया गया? ऐसी तेजस्विनी औरत के बारे में भारत की लड़कियों को क्यों नहीं बताया गया? वे कौन लोग थे जो इस देश से उनका नाम और निशान तक मिटा देने पर तुले हुए थे?
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