पंच परमेश्वर (लघुकथा)
पंच परमेश्वर (लघुकथा)
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“पंच परमेश्वर” मुकदमे की सुनवाई के लिए बैठे थे । पहला दिन था । ढेर-सारे सवाल-जवाब हुए ।
सुनवाई जब अगले दिन के लिए स्थगित हुई तो रामू ने अपने पक्ष के लोगों से कहा “यह पंच परमेश्वर तो हमारी बात सुनना ही नहीं चाहते ,क्या कारण है ? ”
रामू के बगल में खड़े एक शुभचिंतक ने जवाब दिया “पंच परमेश्वर सुनवाई से पहले ही अपना मन बना चुके हैं ।”
सुनकर रामू ने गहरी साँस ली और कहा “तो फिर सुनवाई का नाटक कैसा ? काहे के पंच परमेश्वर ? ”
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99976 15451