पंख लग जाते
पंख लग जाते
फूलों ने रंग धार लिया
मन में उमंग है मेरे
पास मैं तेरे आ जाती
पंख लग जाते जो मुझे।
पवन सर-सर-सर बहे
पानी कल-कल करता चले
मेरे हृदय में प्रियेघन
लम्बी गहरी हिलोंरे उठें
ऐसे में आकर प्रियेधन
बाहों में भर लो मुझे।
पास मैं तेरे आ जाती
पंख लग जाते जो मुझे।
मन मोहक ये मौसम बना
फूलों की महक से सारा
ऐसे में यदि प्रिये जो आता
आनन्द आता कैसा न्यारा
बांहों में भर झूमते या
दिखाते कोई उसवन मुझे।
पास मैं तेरे आ जाती
पंख लग जाते जो मुझे।
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नवल पाल प्रभाकर