पंखों को तौल जरा …
जो भी है तेरे मन में,
वो बोल दे जरा।
खामोश न रह ,
बेखौफ बोल जरा।
जो भी विषमताएं है ,
जीवन में अधिक या जरा जरा ।
तू खुल के विस्तार में ,
सब बोल तो दे जरा ।
उमंगे हैं चाहतें हैं,आशाएं है ,
सारी अभिलाषाओं को ,
पहले एक सूत्र में पिरो तो जरा ।
फिर उसके बाद अपने परों को ,
उड़ान हेतु तौल जरा ।
अभी तो कई आसमान छूने हैं तुझे ,
तू अपने आत्मविश्वास की शक्ति को ,
जगा जरा।
हौंसला है अगर जीवन में कुछ कर ,
दिखाने का,
तो अपनी चेतना की अलख जगा जरा ।
उन्मुक्त गगन में उड़ना है तो ,
पंखों को अपने तौल जरा ।