पंक्षी
पक्षियों को आबोदाना हो गया
गर्म मौसम जल पिलाना हो गया
हो परेशां जब भटकते है कही
घोंसला बुन कर ठिकाना हो गया
भर रहे उन्मुक्त नभ ऊँची उड़ां
कों शिकारी का निशाना हो गया
चुन रहे दाना उतर आकाश से
वृन्द खग का मिल घराना हो गया
प्रान अपने सा रहे उनमें सदा
प्यास उनकी तो बुझाना हो गया
कैद उनको पिंजड़े में यूँ करो
क्योंकि दिल उनका दुखाना हो गया
रोज जल भर कर रखे छत पर सभी
पुण्य कर्मों का कमाना हो गया