पंक्तियाँ
सिंह -सा प्रहार करतें, है चीते सी चाल,
जो बदन से खींच लें, दुश्मनों की खाल,
शीश हो कटे परंतु धड़ से अपने जो लड़े
काल के भी काल वो माँ भारती के लाल?
सिंह -सा प्रहार करतें, है चीते सी चाल,
जो बदन से खींच लें, दुश्मनों की खाल,
शीश हो कटे परंतु धड़ से अपने जो लड़े
काल के भी काल वो माँ भारती के लाल?