“पंक्तिका छंद”
“पंक्तिका छंद”
प्राण नाथ जो आप साथ हों
मोर मोरनी बाग बाग हों
धूम धाम से झूम झूम के
प्यार वार दूं नाच नाच के।।
नाथ आप से प्रात लाल है
ठौर झूमती हाथ ताल है
राम राम जी राम राम जी
नैन नाचते रैन वास जी।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“पंक्तिका छंद”
प्राण नाथ जो आप साथ हों
मोर मोरनी बाग बाग हों
धूम धाम से झूम झूम के
प्यार वार दूं नाच नाच के।।
नाथ आप से प्रात लाल है
ठौर झूमती हाथ ताल है
राम राम जी राम राम जी
नैन नाचते रैन वास जी।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी