न हो सकी
बेबहर गजल
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भले ही हमसे खिदमत नवाजिश न हो सकी।
पर कभी किसी खातिर साजिश न हो सकी। 0
नजर न आई दुनियां को हमारी शक्सियत।
महज इसलिए कि हमसे नुमाइश न हो सकी।1
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लुट रही थी ढेर खुशियाँ मुफ्त बाज़ार में,
मिलती कैसे हमसे फरमाइश न हो सकी।2
कौन गया खाली तेरे दर से हे राधे ।
क्या हुआ ?पूरी हमारी ख्वाहिश न हो सकी।3
लड़ कर आपस में लुटाते रहे अमनो चैन।
फरिश्तो से भी सुलह समझाइश न हो सकी।4
खानदानी जमीं पर बनता था हक मेरा ।
पर तस्दीक हमारी पैदाइश न हो सकी।5
जोर लगाते रहे हम बाजुओ से जान से।
राजनीतीक जोर आजमाइश न हो सकी।6
महफिल आमादा थी पुरजोर सुनने को ।
किसी तीमारदार से गुज़ारिश न हो सकी।7
दफन तो कर ही देती ‘ मधु’ दुनियां कभी की।
बस दो गज जमीन की पैमाइश न हो सकी।8
****** मधु गौतम