न हो अनर्थ जीवन में
शब्द एक है
अर्थ
लिये अपने में
अर्थ अनेक
जो समझे
बात का
अर्थ अगर
तो है वो सार्थक
नहीं तो होता
अनर्थ , अर्थ का
अर्थ पर
टिकी है
दुनियां
खाली जेब
नहीं किसी
काम की
अर्थ ही
बन जाता है
धरती
अर्थहीन है
जीवन
धरती बिन
समझा
अर्थ जिसने
जीवन का
उसका ही है
सफल
जीवन का
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल