न रंग था न रूप था खरीददार थे मिले।
न रंग था न रूप था खरीददार थे मिले।
लिया विशेष दाम में न वो थमे न वो हिले।।
हमीं गुनाहगार थे न कद्र भी किया कभी,
अजीब थी मुसीबतें कभी न फूल से खिले।।
— ननकी 24/08/2024
न रंग था न रूप था खरीददार थे मिले।
लिया विशेष दाम में न वो थमे न वो हिले।।
हमीं गुनाहगार थे न कद्र भी किया कभी,
अजीब थी मुसीबतें कभी न फूल से खिले।।
— ननकी 24/08/2024