न मै राम न मै रावण……
न मै राम न मै रावण
न ही हूँ मै श्रावण
कलयुग का इंसान हूँ
हाँ जी मै बेईमान हूँ
हमेशा दूजे पे ऊँगल उठाता
खुद की तरफ हैं जो चार ऊँगली
उनको है मै सदैव भूल ही जाता
झूठ कपट का है बोलबाला
मै भी पीता हूँ इसका प्याला
चोर चोर का शोर मचाता
सबकी नजर बचाकर खुद
हाथ साफ कर निकल जाता
जात पात की बात चलाकर
समाज मे मै द्वेष फैलाता
मन के शीशे से नजरे चुराकर
घृणा का पात्र बनने से बचाता
बनता हूँ मै महान हूँ मै बेईमान
क्योंकि कलयुग का हूँ इंसान
कहता हूँ खुद को #अंजान….. …..
#निखिल_कुमार_अंजान…..