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16 Oct 2023 · 1 min read

न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है

न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
न ही मैंने खुद को किसी पत्थर में परिणत किया है
इसलिए मुझे फर्क पड़ता है हर उस बात से
जिससे फर्क पड़ना चाहिए।।
मैं बस हर परिस्थिति में खुद को
मनुष्य बनाये रखने की प्रयास करती हूँ
खुद के अंदर प्रेम स्नेह क्रोध दया
जो भी मुझे प्रकृति ने दिया है
सभी को जीवित रखने का प्रयास करती हूँ
मैं कभी भी खुद को खुद से झूठ नही कहूँगी
न ही स्वं के मनोभावों का तुष्टिकरण करूँगी
न ही इसे अस्वीकार करके इसे झिड़क सकती हूँ
जब तक मुझे फर्क पड़ेगा तब तक मैं सहज होकर कहूँगी
“मुझे फर्क पड़ता है”

1 Like · 2 Comments · 230 Views

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