न पिछड़े पुरुष
नारी मे गजब जुनून जज्बा भरा
मेहनत मे भी कमी नही रहती,
फिर क्यो शोहरत के फलक पर
चांदनी छटा फैली नही रहती।
आंखों मे उम्मीद दिल मे तूफान
ताकत जुर्रत की कमी नही रहती,
घर परिवार बाजार हाट जिम्मेदारी
देश दुनियां कहीं पीछे नही रहती।
तय चमक अंतर्मन की आग से
उर्जा निष्पक्ष खोज करती रहती,
रास्ता वो खुद मंजिल भी वो खुद
आगे बढ़ने की प्रेरणा बनी रहती
मेधा रचनात्मकता दिखाने को
नित नई नई राह सोंचती रहती,
बाधाएं पग-पग पर रहती खड़ी
रोड़े पत्थर परवाह नही करती।
गर्व करें बढाएं उसका हौसला
तज अहं दे सहयोग जो कहती,
मिलाएं कंधा रहें बराबरी पर
न पिछड़े पुरुष मांग ये कहती।
स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर