न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत
हमेशा खुशनुमा खुद को, दिखाती उम्र भर औरत
2
न पुरुषों के अहम् को ठेस पहुँचे इसलिए ही बस
बहस में जीत कर भी हार, जाती उम्र मर औरत
3
सुबह से शाम तक दफ्तर में, मर-खपकर कमाती है
मगर फिर लौटकर खाना, पकाती उम्र भर औरत
4
कभी बेटी कभी पत्नी कभी माँ तो बनी लेकिन
न खुद का नाम दुनिया को, बताती उम्र भर औरत
5
जो तबला छोड़कर आई थी मैके में उसे हर दिन
गुसलखाने में रो- रोकर, बजाती उम्र भर औरत
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रचयिता रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451