न दया चाहिए न दवा चाहिए
न दया चाहिए न दवा चाहिए
मुझको हर दिन नया हौसला चाहिए
झूठी मुस्कान मुझको गवारा नहीं
मुझको होठों पे सच्चा गिला चाहिए
अपने पैरों पे अपना सफ़र तय करूँ
दोस्तों बस तुम्हारी दुआ चाहिए
बात करने का मुझको सलीक़ा नहीं
महफ़िलों से बड़ा फ़ासला चाहिए
ख़ुद से कह लेते हैं ख़ुद ही सुन लेते हैं
तनहा दिल से भला और क्या चाहिए
फुरसतों में बहुत कुछ सता जाता है
मुझको मसरूफ़ हरेक लम्हा चाहिए
बाँसुरी के सुरों में तपस्या की धुन
मुझको मोहन तेरी ये कला चाहिए
मेरे बच्चे जहाँ भी रहें ख़ुश रहें
मुझको उनसे बस उनकी बला चाहिए
बहुत मसरूफ हैं उनको फ़ुर्सत कहाँ
कैसे बोलूँ की बस एक निगाह चाहिए
जिसकी ख़ातिर कोई मुझको चाहा करे
मुझको भी एक ऐसी अदा चाहिए
सारी भूलों का अब हो ही जाए हिसाब
मुझको रब से सही फ़ैसला चाहिए