Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2024 · 1 min read

न दया चाहिए न दवा चाहिए

न दया चाहिए न दवा चाहिए
मुझको हर दिन नया हौसला चाहिए
झूठी मुस्कान मुझको गवारा नहीं
मुझको होठों पे सच्चा गिला चाहिए
अपने पैरों पे अपना सफ़र तय करूँ
दोस्तों बस तुम्हारी दुआ चाहिए
बात करने का मुझको सलीक़ा नहीं
महफ़िलों से बड़ा फ़ासला चाहिए
ख़ुद से कह लेते हैं ख़ुद ही सुन लेते हैं
तनहा दिल से भला और क्या चाहिए
फुरसतों में बहुत कुछ सता जाता है
मुझको मसरूफ़ हरेक लम्हा चाहिए
बाँसुरी के सुरों में तपस्या की धुन
मुझको मोहन तेरी ये कला चाहिए
मेरे बच्चे जहाँ भी रहें ख़ुश रहें
मुझको उनसे बस उनकी बला चाहिए
बहुत मसरूफ हैं उनको फ़ुर्सत कहाँ
कैसे बोलूँ की बस एक निगाह चाहिए
जिसकी ख़ातिर कोई मुझको चाहा करे
मुझको भी एक ऐसी अदा चाहिए
सारी भूलों का अब हो ही जाए हिसाब
मुझको रब से सही फ़ैसला चाहिए

Language: Hindi
1 Like · 52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kanchan Gupta
View all
You may also like:
হরির গান
হরির গান
Arghyadeep Chakraborty
औरों के संग
औरों के संग
Punam Pande
4667.*पूर्णिका*
4667.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम
प्रेम
Neeraj Agarwal
जीवन की परिभाषा क्या ?
जीवन की परिभाषा क्या ?
Dr fauzia Naseem shad
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
Keshav kishor Kumar
World Hypertension Day
World Hypertension Day
Tushar Jagawat
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
Rj Anand Prajapati
ठहरना मुझको आता नहीं, बहाव साथ ले जाता नहीं।
ठहरना मुझको आता नहीं, बहाव साथ ले जाता नहीं।
Manisha Manjari
अकारण सेकेंडों की बात मिनटों व घण्टों तक करने वाले न अपना भल
अकारण सेकेंडों की बात मिनटों व घण्टों तक करने वाले न अपना भल
*प्रणय*
*निर्धनता में जी लेना पर, अपने चरित्र को मत खोना (राधेश्यामी
*निर्धनता में जी लेना पर, अपने चरित्र को मत खोना (राधेश्यामी
Ravi Prakash
बेसहारा दिल
बेसहारा दिल
Dr. Rajeev Jain
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
Sonam Puneet Dubey
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
. *विरोध*
. *विरोध*
Rashmi Sanjay
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
Bhupendra Rawat
ज़िंदगी में कामयाबी ज़रूर मिलती है ,मगर जब आप सत्य राह चुने
ज़िंदगी में कामयाबी ज़रूर मिलती है ,मगर जब आप सत्य राह चुने
Neelofar Khan
जीवन भर चलते रहे,
जीवन भर चलते रहे,
sushil sarna
*** आप भी मुस्कुराइए ***
*** आप भी मुस्कुराइए ***
Chunnu Lal Gupta
घर के आंगन में
घर के आंगन में
Shivkumar Bilagrami
-  मिलकर उससे
- मिलकर उससे
Seema gupta,Alwar
मैं घर आंगन की पंछी हूं
मैं घर आंगन की पंछी हूं
करन ''केसरा''
तेरे सुर्ख़ हाथों को देख
तेरे सुर्ख़ हाथों को देख
Anand Kumar
मज़दूर दिवस
मज़दूर दिवस
Shekhar Chandra Mitra
इतने failures के बाद भी अगर तुमने हार नहीं मानी है न,
इतने failures के बाद भी अगर तुमने हार नहीं मानी है न,
पूर्वार्थ
"उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
*दुख का दरिया भी पार न होता*
*दुख का दरिया भी पार न होता*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कदम जब बढ़ रहे
कदम जब बढ़ रहे
surenderpal vaidya
अपना तो कोई नहीं, देखी ठोकी बजाय।
अपना तो कोई नहीं, देखी ठोकी बजाय।
Indu Singh
सबक
सबक
manjula chauhan
Loading...