न डरने की कोई जरूरत रहेगी
न डरने की कोई जरूरत रहेगी
वही जिंदगी फिर पुरानी मिलेगी
सुनहरी सुबह फिर उजाला करेगी
वही शाम की मीठी महफिल सजेगी
चमक चांदनी भी निशा में भरेगी
वही जिंदगी फिर पुरानी मिलेगी
कि बांटा करेंगे सुख दुख भी मिलकर
अकेले रहेंगे न घर में यूं घुटकर
नहीं रोक कोई किसी पर लगेगी
वही जिंदगी फिर पुरानी मिलेगी
निकल सीखचो से ये बचपन खिलेगा
नहीं बंद होकर बुढ़ापा कटेगा
जवानी भी सपने सभी सच करेगी
वही जिंदगी फिर पुरानी मिलेगी
18.5.2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद