न जोतों खाऊं न जोतों रौंधूँ
जिलाधिकारी से निर्गत होते हुए प्राप्त आदेश के अनुपालन में मैं अपने दल के अन्य सदस्यों फार्मेसिस्ट , लैब टेक्नीशियन , वार्ड बॉय आदि के साथ अस्पताल की एंबुलेंस ले कर उस घटनास्थल पर पहुंच गया जहां वह भूख हड़ताली पिछले 5 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठा था । वह एक सर्द सुबह में 18000 सीट की ऊंचाई वाले पहाड़ पर स्थित न्यायालय परिसर के करीब एक शेड के नीचे एक स्थान पर जो तीन तरफ से मुंडेर से घिरा था अपना बिस्तरा लगाये फूलों की माला पहने आराम से लेटा था । उसके आसपास करीब 10 – 12 समर्थक उसे घेरे हुए खड़े थे । मेरे वहां पहुंचने पर उन लोगों में कुछ हलचल हुई कि डॉक्टर साहब आ गये । मैंने उन्हें बताया कि मैं इनके स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आया हूं । इस पर वह सभी उस भूख हड़ताली के प्रति अपनी मार्मिक संवेदनाएं जताते हुए बोले हां साहब देख लो । वह उसी भांति धृष्टता से लेटा रहा । मैंने उसके वहीं लेटे लेटे की दशा में उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया उसकी नब्ज़ , बी पी , आले को लगा कर देखने के पश्चात मैंने उससे कहा कि आपका वजन तौलना है अतः आप इस वजन तौलने की मशीन पर खड़े हो जाइए तथा अपनी पेशाब का नमूना जांच के लिये दे दीजिए । मेरे यह कहने पर वह अत्याधिक कमजोरी प्रदर्शित करते हुए खड़े होने में असमर्थता प्रगट करते हुए धृष्टता पूर्वक लेटा रहा । इस पर उसके कुछ साथियों ने उसके हाथ पकड़ कर और सहारा देखकर उसे खड़ा किया । उसे खड़ा करने के इस प्रयास में जैसे ही उसकी रजाई उस पर से हटाई गई तो उसमें से एक आधी भरी हुई xxx रम शराब की बड़ी बोतल खनखनाती – खलखलाती हुई उसकी रज़ाई से निकल कर फर्श पर 5 – 6 फीट दूर लुढ़कती हुई रुक गई , जो सम्भवतः उसने रजाई के अंदर अपनी बगल में दबा रखी थी । वह वजन की मशीन पर तुलने के लिए सहारे से खड़ा हो गया पर पेशाब का सैम्पल देने के लिए उसने मना कर दिया ।
मैंने उसकी शराब की बोतल की ओर इशारा करते हुए मुस्कुराकर आसपास खड़े लोगों के चेहरों पर प्रश्नवाचक निगाह डाली । इस पर वे लोग बोले
साहब यह पूरी तरीके से अपने सिद्धांतों के अनुसार भूख हड़ताल पर है और इसका मानना है कि इस दौरान ये किसी ऐसी वस्तु का सेवन खाने पीने में नहीं करेगा जो हल लगाकर जुताई कर मेहनत लगा कर पैदा की जाती हो या जिसे बनाने के लिए आटे की भांति गूंथना पड़ता हो , इस लिए ये बेचारा सिर्फ मुर्गा और शराब के अलावा कुछ भी नहीं ले रहा है । क्योंकि इन चीजों के उत्पादन में हल आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है ।
अपने पूर्व के व्रत धारण करने के अनुभवों से मैं जानता था कि व्रत में फलाहारी वस्तुओ का खाने-पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता सकता है तथा ऐसे अन्न का प्रयोग व्रत में वर्जित है जोकि जुताई – बुआई से खेतों में उपजाया जाता हो । उसका भी यही तर्क था ।
क्यों कि मुर्गा और शराब में हल का प्रयोग नहीं किया जाता अतः यह बेचारा उसे ही खाकर जिंदा है और अपने संघर्ष में जुटा है ।
मैं उनके इस कुतर्क से मन ही मन सहमत और अचंभित था कि मुर्गा और शराब के लिए हल नहीं चलाना पड़ता पर वहां मैं उनसे इस बात पर किसी विवाद में नहीं उलझना चाहता था । वह व्यक्ति किस प्रकार सार्वजनिक रूप से कुछ लोगों को भ्रमित करते हुए महात्मा गांधीजी के द्वारा बताए गए मार्ग और उनके सिद्धांतों की सार्वजनिक रूप से खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा था तथा बाकी सब प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग भी उनकी नाक के नीचे यह सब अपराध होते हुए देखकर भी आंख मूंदकर खानापूरी करने में लगे थे ।
उनकी बात सुनने के पश्चात मैंने अपनी रिपोर्ट में उसके स्वास्थ्य परीक्षण का उल्लेख करने के साथ साथ उसके आहार एवं उसकी सांस में शराब की महक का विवरण भी लिखकर रिपोर्ट आगे भेज दी ।
अगले दिन अपने अन्य चिकित्सक साथियों को जब मैंने इसके बारे में बताया तो मेरे सहयोगी दंत चिकित्सक हंसने लगे और बोले हां यह वही व्यक्ति है जिसे आसपास के इलाके के लोग बंबइया टैक्सी वाला कहते हैं । यह बहुत बदमाश है । पिछले 2- 3 सालों में कई बार अपने दांत की मेडिको लीगल रिपोर्ट करवाने के लिए मेरे पास आ चुका है और हर बार मैं लिख कर भेज देता हूं कि यह वर्षों पुराना टूटा हुआ दांत है । फिर ये मुझसे लड़ता है कि मेरा यह सामने का ऊपरवाला दांत हाल की लड़ाई में मारपीट में टूटा है ।
ऐसे लोगों के लिए महाकवि रहीम दास जी शायद यह यह पंक्तियां लिखना भूल गए थे जो मुझे अक्सर याद आती हैं
‘ रहिमन इस संसार में भांति – भांति के लोग ,
कुछ तो दुर्जन होत हैं , कुछ बहुतई दुर्जन होंय ।
सुना है कि अब इस दोहे का रीमिक्स वर्जन भी ज्ञानियों के पास उपलब्ध है ।