न जीना मुहाल कर मुझे तु जहर दे
न जीना मुहाल कर मुझे तु जहर दे
कफ़स में रखे तो मेरे पर कतर दे
ठिकाना नहीं है मुझे कोई घर दे
नहीं घर अगर कोई तेरा ही दर दे
सहारा यतीमों का मुझको बना दो
दुआओं मे मेरी तो इतनी असर दे
सलामत रहे ये दिवाना हमारा
क़यामत का इनको न कोई कहर दे
के नफ़रत निभाना कँवल अब नहीं है
रक़िबों के सीने में भी प्यार भर दे