न जाने क्यों
न जाने क्यों !
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न जाने क्यों
जब तुम बारिश सी बरसती हो तो
मैं बूंद सा क्यों ठहर जाता हूं ?
जब तुम फूल सी खिलती हो तो
मैं इत्र सा क्यों महक जाता हूं ?
जब तुम नींद बन कर बहकती हो
मैं ख्वाब सा क्यूं सज जाता हूं ?
जब तुम धूप सी बिखरती हो तो
मैं बर्फ सा पिघल जाता हूं ?
जब तुम नदी सी बहती हो तो
मैं सागर सा क्यूं छटपटाता हूं ?
कहीं,
मुझे तुमसे प्यार तो नहीं हो गया ?
@Sugyata
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