न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
अगर कुछ रखता हूँ –2
तो अलग पहचान रखता हूँ
लोग समझते हैं मैं बदनसीब हूँ बड़ा
वो क्या जानें हुजूर मुझको–2
मैं जिंदगी की जरूरत तमाम रखता हूँ
न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
न जरूरत है मुझे झूठे खजानों की
नहीं ऐसी दौलत चाहिए –2
मैं सच्चाई और स्वाभिमान रखता हूँ
न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
कोई प्यार कोई इश्क कोई मोहब्बत
रखता है धड़कते दिल में–2
मैं फौलादी सीने में हिन्दुस्तान रखता हूँ
न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
‘V9द’ कौन हिंदू कौन मुस्लिम, सिक्ख,
और कहो ईसाई है कौन–2
मैं इंसान हूँ इंसानियत ईमान रखता हूँ
न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
स्वरचित
( V9द चौहान )