न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
जनम हुआ है बुद्ध का,
मानव के कल्याण के खातिर,
जन्मे है,
ना चाहे जो युद्ध,
वही तो बुद्ध है।
आभा जिनकी विराट है,
सत्य अहिंसा करुणा जिनका,
पथ है,
ना चाहे जो युद्ध ,
वही तो बुद्ध है।
बोध हुआ पीपल के छाँव में,
ज्ञान से दुःख निवारण इनका,
उपदेश है,
ना चाहे जो युद्ध ,
वही तो बुद्ध है।
महिमा जिनकी अपरम्पार है,
देते शांति जीवन में ऐसा,
कृपा निदान है,
ना चाहे जो युद्ध ,
वही तो बुद्ध है।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।