न कोई सहारा मिला
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काफिया-आरा रदीफ़-मिला
***** न कोई सहारा मिला ****
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जिन्दगी में न कोई सहारा मिला,
यार तेरे न जैसा दुबारा मिला।
छोड़ दी आदतें जो नकारी गई,
आप जैसा न कोई हमारा मिला।
लौटकर कौन आया पराया कभी,
डूबते को न तिनका सहारा मिला।
डूबती नाव को ना बचाया सका,
धार को ना कहीं भी किनारा मिला।
मंजिलें मिल न पाई जहां में यहाँ,
वो जमीं पर हमें ना सितारा मिला।
दोष किस का कहाँ पे यहाँ हुआ,
आप जैसा न कोई नकारा मिला।
मन से सीरत भुलाई न जा है सकी,
प्यार में यार वो बेसहारा मिला।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)