नफ़रतें यु पनपती है
नफरतो की
ना बात करो
जनाब
हर दिल में
रहती है
आजकल
प्यार से ज्यादा
नफरते पनपती है
आजकल
बदले बदले से
रहने लगे है
जज्बात सभी
बिगड़े बिगड़े
रहते है
हालात कभी
क़ौन है अपना
सोचो तो
लगता है एक
सपना कोई
बदल से गये
वो प्यार के
रिश्ते सभी
लोग दिलो
से नही
दौलत से
जुडते है
प्यार के
कितने
मिलेंगे
दाम
नफरत
तराजू
में तुलती
है आजकल
जिस को
जरूरत
वो प्यार
से बोल
लेता है
वरना
दिलो
में नफरत
घर कर
गयी है
मेरी दुनिया
आज एक
प्यार को
तरस गयी है।।
✍संध्या(तृप्ती )