नज़र_में_या_नज़रबंद
Anisha
हर साल की तरह
फिर होंगी बातें…!
उम्मीदों की…सपनो की
महत्कांक्षाओं की…!
धरातल पर…
कितना पाया
वो बड़ी बात हैं…!
खोना-पाना
रिश्ते नाते
प्यार धोखा
दुःख और खुशियाँ
यादों के झरोखे में,
होती रहेंगी कैद…!
फिर एक साल…
कितना ले गया…
कितना दे गया
देते रहेंगे उसकी मिसाल,
दिल पर हाथ रख…
चलो करते हैं ख्याल;
क्या नज़र में है!
या सब अधर में है?
सुलझे नज़र आते
उलझे तो हैं सभी,
भरा है अंतर्मन…
भाव हैं नज़रबंद
नयनो के तटबंदों में
छुपी बूंदो के
अनकहे सवाल…!
निरुत्तर थे……..
निरुत्तर हैं……..
क्या निरुत्तर रहेंगे ?
©anitasharma
#abhivyaktibasdilsae