नज़र
चलन के दौर से बाहर आइए जरा
जलन पीडा पर नज़र डालिए जरा
रुठ बैठे क्यों नब्ज टटोल लेते जरा,
हर मुकाम पर आज उतरे जो खरा,
वो भी जीवित है जो उनकी अप्सरा.
चलन के दौर से बाहर आइए जरा
जलन पीडा पर नज़र डालिए जरा
रुठ बैठे क्यों नब्ज टटोल लेते जरा,
हर मुकाम पर आज उतरे जो खरा,
वो भी जीवित है जो उनकी अप्सरा.