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28 Mar 2021 · 1 min read

नज़र को, बे-नज़र करके तू

श्रम करो रे,
क्षण क्षण सदैव,
रुको मत यूँ।।1।।

रुकना नहीं,
कार्य तुम्हारा प्रिय,
सत्य कथन।।2।।

बढ़ते चलो,
तुम प्रकाशित हो,
तुम देव हो।।3।।

पुण्य क्षीण तो,
देव भी गिरते यूँ,
मृत्यु लोक में।।4।।

तू महादेव,
को भज, आचरण,
कर उनका ।।5।।

वही अखिल,
वही सम्पूर्ण प्रभु,
जगदीश्वर ।।6।।

कर अगाध,
प्रेम उससे सदा,
आनन्द मिले।।7।।

नहीं अकेला,
तू परमात्मा अंश,
भजन कर ।।8।।

नज़र को भी,
बे-नज़र करके तू,
तू ध्यान धर।।9।।

तू सर्वश्रेष्ठ,
है यह अहं मत,
पाल रे मूर्ख।।10।।

©अभिषेक पाराशर

Language: Hindi
352 Views
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