नज़रों में उसकी प्यार है तो प्यार प्यार है
नज़रों में उसकी प्यार है तो प्यार प्यार है
वर्ना तो ज़िन्दगी में ग़मों की क़तार है
मौसम के ख़ूब आज फिर से ये बदले मिजाज़ हैं
शायद वो आ रहे हैं तो ठन्डी बयार है
आपस में मिल रहे हो अगर प्यार से मिलो
क्या फ़ायदा अगरचे दिलों में दरार है
किस काम के ये लोग जहाँ में जो रह रहे
पेड़ों से प्यार है न बशर से ही प्यार है
उस बेवफ़ा पे कौन करेगा यकीन अब
मीठी ज़ुबान जिसकी है दिल दाग़दार है
अपनी ही दाल को जो गलाने में है लगा
उसको ग़रीब से न तवंगर से प्यार है
ये जात पात धर्म की दीवार जो खड़ी
अब तोड़नी है मिल के जो ऊँची दिवार है
ये दौर है मशीन का दुनिया में फिर भी क्यूँ
बीमारियों का भूख का इन्सां शिकार है
अपना मिजाज़ उसने न बदला है आज तक
‘आनन्द’ उसको आज भी पत्थर से प्यार है
– डॉ आनन्द किशोर