नज़रों को अश्क़ देकर जाते हो।
जब देखो तब नजरों को अश्क़ देकर जाते हो।
अक्सर अपनी कड़वी बातों से हमको जलाते हो।।1।।
गर भर गया है हम से दिल तो बता दो हम को।
हम खुद ही चले जायेंगे तुम क्यूँ ऐसे घबड़ाते हो।।2।।
मैंने कल देखा था तुम्हें गैरों के साथ जाते हुए।
पूँछने पर हमेशा तुम बेवजह के बहाने बनाते हो।।3।।
क्या याद है तुमको आखिरी बार का मिलना।
याद कैसे होगा दूसरों संग जो मिलते मिलाते हो।।4।।
इतना भी क्या काम मे मशगूल होना तुम्हारा।
जो फुरसत ही नही है मेरे साथ वक्त बिताने को।।5।।
मत लो मेरे सब्र का यूँ इम्तिहान इतना ज्यादा।
तरस ना जाओ कहीं हम से मिलने मिलाने को।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ