नज़रें पुरनम होंगीं।
वह जाहिर नहीं है करता यूँ अपनी दिक्कते।
जाकर के देखो उसकी नज़रें पुर-नम होगी।।
क्यो काटते हो हर रात यूँ ऐसे जागकर तुम।
उसने बताया था मिलने की शब पूनम होगी।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ
वह जाहिर नहीं है करता यूँ अपनी दिक्कते।
जाकर के देखो उसकी नज़रें पुर-नम होगी।।
क्यो काटते हो हर रात यूँ ऐसे जागकर तुम।
उसने बताया था मिलने की शब पूनम होगी।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ