नज़रिया
क्यों घबराएँ, क्यों परेशां हो कल के लिए ?
गर नेकी और ईमान से, अच्छी काटी है “आज” हमने
तो कल का सवेरा भी, सुकून लिए ही आएगा ……..
क्यों घबराएँ, क्यों परेशां हो कल के लिए ?
गर नेकी और ईमान से, अच्छी काटी है “आज” हमने
तो कल का सवेरा भी, सुकून लिए ही आएगा ……..