नग़मे गीत प्यारे गाने गाता हूँ
***** नग़मे गीत प्यारे गाने गाता हूँ *****
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कहने को बहुत कुछ है पर ना कह पाता हूँ,
मन ही मन बहुत सी बातों को सह जाता हूँ।
देता हूँ खुशी जो भी दर पर आया है,
खाली हाथ वापिस अपने घर मे आता हूँ।
मधु मीठे तराने झोली भर खुशियाँ बाँटू,
नग़मे गीत प्यारे गाने भी मैं गाता हूँ।
आओ दो घड़ी मिलकर बातें हम करते हैं,
हर पल रोज ही सपनों में तुम्हें भाता हूँ।
मनसीरत सदा ख्यालों में खोया रहता हैं,
भर-भर कर झरोखे स्नेहों के मैं लाता हूँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)