न्याय दिलायेगा
बचपन में गुड्डे-गुड़ीयो का खेल छोड़ मिट्टी को माथे से लगाया था
पसीने से लथपथ होकर अखाड़ो में समय बिताया था
समाज के ताने सुन-सुन खुद को और मजबूत बनाया था
जिला राज्य से आगे बढ़कर देश स्तर पर पहुँच गये हम
इतने में भी कदम रूके न हमारे विदेशों में जाकर भी देश का परचम फहराया था
पदक मिला सम्मान मिला देश का अभिमान मिला, अपनी उपलब्धि पर हम फूले नही समाते थे
सुना था कि समय एक सा नहीं होता है कभी कोई हंसता तो कोई रोता है
आज ऐसा समय ही आया है, हमारा सम्मान एक दुष्ट से जा टकराया है
वो सत्ता के नशे में चूर था हममें भी साहस भरपूर था
हमने गांधी को अपनाया था वो हिटलर बन सामने आया था
जो पहले हमारे तस्वीरों में पीछे घुसकर जगह बनाते थे
हम पदक वीरो से अपनी पहचान बताते थे, आज उनके मुँह पर ताले है
गांधी के पदचिन्हों पर चल कर हमने ये कदम उठाया है
अपना पदक और अभिमान गंगा माँ के चरणों में चढ़ाया है
अब देखना है अंधी बहरी सरकार कब तक मौन रहती है
अपने सत्ता के नशे में कब तक चूर रहती हैं
समाज अब जाग रहा है, अब हम में वो अपने संतानों को देख रहा है
अपनी ताकत से सोती सरकार को जगायेगा, हमे भी विश्वास है हमें भी न्याय दिलायेगा