नौकरी
मिल जाती जब नौकरी, खुश होता परिवार
हो जातीं कम मुश्किलें, बढ़ जाता है प्यार
मिलती है अब नौकरी, पर पैसा आधार
योग्यता को लील गया, कितना भ्रष्टाचार
तन-मन करते नौकरी,करें हमारे काम
हमको करने चाहिये, बदले में व्यायाम
कैसे पायें नौकरी, जीना हुआ मुहाल
बिछा हुआ चारों तरफ, आरक्षण का जाल
मिलती है अब नौकरी, चलो चलें बाज़ार
बँटबारे की सैलरी, का भी अब व्यापार
नौकरियों पर पड़ गयी, आरक्षण की मार
वोटों का करने लगी, राजनीति व्यापार
11-01-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद