Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2021 · 1 min read

नौकरी वाली बीबी

आज कविता के माध्यम उन्हें बताना चाहती हूँ जो पूछते हैं कि तुम्हारी बीबी भी कमाती है ? उसकी कमाई कहाँ जाती है ??????

उनको आज आईना दिखाना है ।

कहाँ जाती है,कमाई???

यह भी जतलाना है?????

उन्हें कमाई के पीछे का राज भी बतलाना है।

जिनकी बीवी काम पर नहीं जाती वो अक्सर बीमार पड़ जाती है।

नौकरी पर जाने वाली हर रोज दवा खाकर भी ऑफिस चली जाती है।

फिर भी पूछते हैं लोग, तुम्हारी बीबी की कमाई कहाँ जाती है???

बताना चाहती हूँ ,मैं …………………………

ऑफिस वाली बीबी दोहरी भूमिका निभाती है, पर सम्मान वह घर और ऑफिस में से कहीं पर भी नहीं पाती है।

घर में बीबी हो या ऑफिस में हो वो कर्मचारी …….

कमी तो उनके काम में निकल ही आती है …..

लोगों की अपेक्षाएं कहाँ कम हो पाती है ???

फिर भी पूछते हैं लोग, तुम्हारी बीवी की कमाई कहाँ जाती है???

इस लॉकडाउन में , आधी सैलरी आने पर भी अपनी पूरी जिम्मेवारी निभाती है।

इस कोरोना काल में जब कामवाली भी कोई घर पर नहीं आती है, उस वक्त झाड़ू, पोछा और बर्तन करके वह अपने सभी फर्ज निभाती हैं।

फिर भी पूछते हैं लोग, तुम्हारी बीवी की कमाई कहाँ जाती है???

अक्सर नौकरी करने वालों की बीबी रिश्तेदारों से कम मिल पाती है।

कभी-कभी तो जरूरी जगह पर भी नहीं जा पाती है ।

तब बोलते हैं लोग तुम्हारी बीवी कितना कमाती है?????

जो कुछ समय निकाल कर भी नहीं आ पाती है।

फिर भी पूछते हैं लोग तुम्हारी बीवी की कमाई कहाँ जाती है?????

Language: Hindi
5 Likes · 461 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rajni kapoor
View all
You may also like:
(8) मैं और तुम (शून्य- सृष्टि )
(8) मैं और तुम (शून्य- सृष्टि )
Kishore Nigam
Tum khas ho itne yar ye  khabar nhi thi,
Tum khas ho itne yar ye khabar nhi thi,
Sakshi Tripathi
कल जो रहते थे सड़क पर
कल जो रहते थे सड़क पर
Meera Thakur
*यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का (मुक्तक)*
*यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सफल लोगों की अच्छी आदतें
सफल लोगों की अच्छी आदतें
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
क्यों हो गया अब हमसे खफ़ा
क्यों हो गया अब हमसे खफ़ा
gurudeenverma198
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
कवि दीपक बवेजा
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आ भी जाओ
आ भी जाओ
Surinder blackpen
"अमर रहे गणतंत्र" (26 जनवरी 2024 पर विशेष)
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
देश प्रेम
देश प्रेम
Dr Parveen Thakur
मंजिल
मंजिल
Swami Ganganiya
मंत्र: पिडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
मंत्र: पिडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
Harminder Kaur
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
AMC (आर्मी) का PAY PARADE 1972 -2002” {संस्मरण -फौजी दर्शन}
AMC (आर्मी) का PAY PARADE 1972 -2002” {संस्मरण -फौजी दर्शन}
DrLakshman Jha Parimal
* मुस्कुराने का समय *
* मुस्कुराने का समय *
surenderpal vaidya
नेता के बोल
नेता के बोल
Aman Sinha
युवराज को जबरन
युवराज को जबरन "लंगोट" धारण कराने की कोशिश का अंतिम दिन आज।
*प्रणय प्रभात*
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आज़ मैंने फिर सादगी को बड़े क़रीब से देखा,
आज़ मैंने फिर सादगी को बड़े क़रीब से देखा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इकांत बहुत प्यारी चीज़ है ये आपको उससे मिलती है जिससे सच में
इकांत बहुत प्यारी चीज़ है ये आपको उससे मिलती है जिससे सच में
पूर्वार्थ
जो भी पाना है उसको खोना है
जो भी पाना है उसको खोना है
Shweta Soni
टूटा हुआ सा
टूटा हुआ सा
Dr fauzia Naseem shad
सरकार~
सरकार~
दिनेश एल० "जैहिंद"
7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए
7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए
Ajay Kumar Vimal
हर बला से दूर रखता,
हर बला से दूर रखता,
Satish Srijan
रेस का घोड़ा
रेस का घोड़ा
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
विकास शुक्ल
ईश्वर
ईश्वर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...