नोट लो, वोट दो (हास्य व्यंग्य )
नोट लो, वोट दो (हास्य व्यंग्य )
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इस बारे में हम लोगों ने बैठकर काफी चिंतन किया कि वोटर से वोट कैसे लिया जाए। स्थिति यह है कि दस हजार रुपए महीना देने का वायदा किया जाएगा तो वोटर वोट नहीं देगा। मेरे ख्याल से अगर हम 25 हजार रुपये महीना प्रत्येक वोटर को चुनाव जीतने के बाद पहले महीने से देने का वायदा करें तो चुनाव जीतने का चांस बहुत बढ़ जाएगा। अभी तक के इतिहास में किसी ने 25 हजार रुपये महीना हर वोटर को नोट बांटने का वायदा नहीं किया।
घर बैठे हर महीने बैंक में 25हजार रुपये महीना आपके पास आएगा । आपको कोई काम नहीं करना है। केवल सुबह उठना है , उठकर खाना है ,खाने के बाद सो जाना है, सोने के बाद फिर उठना है , फिर खाना है और फिर सो जाना है। पैसा बैंक से लाने में थोड़ी मेहनत रहेगी, लेकिन इतना श्रम बस आपको करना पड़ेगा। बाकी सब सरकार करेगी।
कई लोग सोचते हैं कि देश की 130 करोड़ की आबादी है, इसको अगर कम किया जाए और जनसंख्या- नियंत्रण का कार्यक्रम सख्ती के साथ लागू किया जाए तो वह देश के लिए ज्यादा फायदेमंद बैठेगा। मेरा कहना है कि ऐसे बुद्धिमान लोगों से नेताओं को दूर रहना चाहिए । हमारा लक्ष्य एकमात्र सत्ता पाना है। देश की भलाई किस में है- इस चक्कर में हमें नहीं पड़ना है । पूरी तरह अपना ध्यान केवल इस बात पर लगाना है कि चुनाव से पहले नदी में चारा फेंको और मछली को जाल में फांस लो।
अब मुश्किल क्या आ सकती है ? जैसा मैंने कहा कि 25हजार रुपये महीना हर वोटर को घर बैठे नोट पहुंचाने की स्कीम दो। तुमने योजना अपने घोषणापत्र में दे दी । अब उसके बाद दूसरी पार्टी ने और भी बड़ा दांव खींच कर फेंका। उसने कहा कि मैं हर वोटर को हर महीने 25 की बजाय ₹35000 महीना दूंगा। अब वोटर तो चालाक है। आप 25 दे रहे हो, दूसरा 35000 दे रहा है ,तो स्वाभाविक है वोटर ₹35000 देने वाले को वोट देगा। तो ऐसे में फिर आपको संशोधित चुनाव घोषणा पत्र निकालना पड़ेगा। आप 25 की बजाए 35 से भी ज्यादा ₹45000 महीना वोटर को देने का वायदा करने वाला घोषणापत्र दोगे। वोटर आपका हो जाएगा ।
और भी समस्या आ सकती है। किसी पार्टी ने कहा हम ₹50000 देंगे। ऐसे में तीसरा संशोधित चुनाव घोषणा पत्र आनन- फानन में जारी करना पड़ेगा और कहना पड़ेगा कि हम हर महीने 130 करोड़ लोगों को घर बैठे अस्सी हजार रुपये के नोट पहुंचाएंगे । आलसी लोग यह मांग कर सकते हैं कि साहब हम बैंक नहीं जाना चाहते हैं । चल कर कौन जाए ? तो आपको होम डिलीवरी की बात भी अपने घोषणापत्र में लानी पड़ेगी। यानी बैंक से घर तक रुपया पहुंचाना पड़ेगा । जितनी ज्यादा सुविधा आप दोगे, उतना ही वोट आपका पक्का होगा
यह तो रही भविष्य के वायदों की बातें। दूसरा काम जो आपको करना पड़ेगा, वह है चुनाव से पहले वोटर को नोट बांटने का।यह सभी लोग करते हैं ,लेकिन आप जितना ज्यादा इस काम में रुचि लेंगे और नोट के साथ – साथ ही उसको शराब की बोतल देंगे, साड़ी देंगे ,कोट पैंट कमीज के कपड़े देंगे, साथ में जो बड़े-बड़े वोटर – मुखिया हैं- उनको स्कूटर बाइक तथा कारें देंगे तो चुनाव में जीत की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। चुनाव भर 2-4 हजार जगहों पर मुफ्त में समोसा, हलवा, पूरी- कचौरी दिन में तीन बार लगातार बंटती रहनी चाहिए।
यह बात सही है कि 70 लाख रूपल्ली में क्या हो पाएगा ? आप चुनाव आयोग से कहिए कि लोकसभा के चुनाव में खर्च की सीमा 70 लाख से बढ़ाकर 7 करोड़ रुपए की जानी चाहिए, क्योंकि वास्तविकता यही है कि सात-आठ करोड़ से कम में लोकसभा का चुनाव लड़ा नहीं जा सकता । अब हर आदमी तो मुंह खोले खड़ा है और कह रहा है कि अगला 50000 पेशगी देकर गया है, आप 1 लाख दो तो फिर मैं आपका झंडा अपने मकान के ऊपर लगाऊं। मँहगाई का जमाना है।
देना पड़ता है। 70 लाख रुपल्ली में कुछ नहीं हो सकता। यह तो समझ लो कि भोजन के बाद पान चबाने का खर्चा है ।
आपको तो केवल अगले 5 वर्ष के लिए सोचना है ।उसके बाद तो पूरे देश में अराजकता फैल ही जाएगी ।एक- एक पैसे के लिए तंगी हो जाएगी ।अर्थ व्यवस्था चौपट हो जाएगी। फिर जो होगा ,देखा जाएगा। आप इस बारे में मत सोचो। पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र आँख मींचकर निकाल दो।
मेरी राय है कि घोषणा पत्र का शीर्षक होना चाहिए-” वोट दो नोट लो” …….
….. ” 130 करोड़ लोगों को मुफ्त में 50 हजार रुपये महीना // दुनिया का सबसे बड़ा ऑफर ”
लिखकर रख लो, चुनाव जरुर जीतोगे।
…………………………………………….. लेखकः रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451