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5 Jun 2020 · 1 min read

नैया बीच मंझदार

**नैया बीच मंझदार**
*****************

नैया है बीच मंझदार
ना इस पार ना उस पार

फंस गई बीच जलधारा
नजर ना आए पतवार

दिखाई ना दे किनारा
मांझी भी है दरकिनार

साहिल भी मिल पाएगा
द्वार खड़ी सामने हार

सुनामी दे रही दस्तक
नभ से आए बौछार

सर्वस्व जाएगा बिखर
टूट जाएंगे कोल करार

हवाएं भी तो है तेज
बाहर नही रही बहार

रौनके हैं रफूचक्कर
बन्द हुए हाट बाजार

बाँध लिया सर्व सामान
यादें रह गई दरबार

अपने फंसे है भंवर में
पढ़ लिया मैंने अखबार

अफरातफरी में हैं सब
व्यथित हो रहा संसार

कई रहे है यहाँ डूब
कई हुए भी है सवार

मोलभाव करते हैं सब
बन बैठै जैसे सुनार

मिलेगी हमें प्रेम राहें
चाहे स्थिति हो आपार

सुखविंद्र को रहे भाती
सूरत,सीरत, सुंदर नार
******************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 263 Views
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