नैन
नैन बड़े पागल बनकर जब
इधर-उधर मंडराते हैं,
सुध प्यारी तब लेकर मन ही
नैनो को राह पर लाते हैं।
नैन- नैन से बात बढ़ती जब
पाँव कहाँ रुक पाते हैं,
जिम्मेदारी का बोझ तब आकर
दूर के ढोल सुहावने बतलाते हैं।
नटघट नैन जब बलखाती तब
शोर जग मे हो जाती हैं,
कृष्ण प्रेम की बात तब आकर
भविष्य उज्ज्वल कर जाती हैं।
हर शैतानी पर जब नैन के
विश्वास किया ना जाता हैं,
भरोसा टूट जाएं तब ही
आँख से आँसू आते हैं।
नैन फिदा कर रही जब उनकी
मन मचल- मचल जाता हैं,
याद आये आगे उनकी तब
नैन नीर बह जाते हैं।