नैनों से बहता नीर है
* नैनों से बहता नीर है *
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नैनों से बहता नीर है,
सीने में होती पीर है।
पेचीदा तेरी घर डगर,
दिल मे रखती धीर है।
काली हो या गौरी बडी,
राँझे को प्यारी हीर है।
जानेमन है हमसे खफ़ा,
दूरी देती दिल चीर है।
मनसीरत है सहता नहीं,
पर तीखे लगते तीर है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)