नैनों की भाषा
मेरे नैनो की भाषा को तुम कभी न समझे
मैंने तुमको समझाने कि लाख जतन किया
मोटी-मोटी ये किताबे को पढ़कर समझ लेते हो
पढ़-पढ़ के तुम तो साहब ही बन गए ।
मैं तुम्हें कैसे बताऊँ कि मुझे लाज आती है
मेरे दिल मे क्या है ये आंखे बताती है
नादान साजन तड़पे है मेरा जिया
मेरे नैनो की भाषा को तुम कभी न समझे
तुम मेरे करीब तो आओ और मुझसे यू नजरे तो मिलाओ
तुम मेरी नजर की बात को पढ़ के तो सुनाओ
तूने रपट लिखी है और मेरा दिल को ही चुरा लिया
मेरे नैनो की भाषा को तुम कभी न समझे
मेरा तन और मन तुम्हारा हुआ
मेरी ये काली जुलफ़े तो सिर्फ और सिर्फ ,
तुम्हारे लिए ही तो ये सवारां है
मेरा ये दिल तुमसे लगा के मैंने ये क्या किया
मेरे नैनो की भाषा को तुम कभी न समझे