Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2020 · 2 min read

नैतिक शिक्षा का महत्व

आज के दौर में नैतिक शिक्षा अहम आवश्यकता है।हमारे समय में स्कूलों में नैतिक शिक्षा अनिवार्य विषय के रुप में पढ़ाया जाता था।
ये नैतिक शिक्षा से दूरी का ही परिणाम है कि सबसे पहले हमारे ही घर परिवार में ही रनैतिकता का अभाव पनपने लगा है।संयुक्त परिवारों के बिखरने में भी। नैतिकता, सम्मान आदर भाव और सामंजस्य का अभाव बड़ा कारक बनकर उभरा है।आजकल के बच्चों में नैतिकता का अभाव इतना अधिक हो रहा है कि बच्चे बाबा, दादा,चाचा, काका,या अन्य बड़ों की बात छोड़िए, अपने माँ बाप तक की इज्ज़त नहीं कर
रहे हैं।आजकल तो बड़ो के पैर छूना तो जैसे खत्म हो रहा है।सच तो यह है कि अब नये माता पिता आधुनिकता में इतने रंग गये हैं कि वे चाहते ही नहीं हैं कि उनका बच्चा किसी के पैर छुए।यही नहीं वे परिवार में रहते हुए भी अपने बच्चों को बाबा, दादी या अन्य बड़ो से घुलने मिलने से बचाने तक का प्रयास करते हैं।
मेरा आशय किसी का दिल दुखाना नहीं है,पर क्या आप विश्वास करेंगे कि एक दम्पति ने माँ के साथ इसलिए रहना उचित नहीं समझा कि कहीं बुजुर्ग माँ यानी दादी के पास जाने से उनके बेटे को इंफेक्शन न हो जाय।और अलग कमरा ले लिया।पैसे का घमंड भी नैतिक मूल्यों के पतन का एक बड़ा कारण है।अनेकों ऐसे उदाहरण मिल जायेंगे जहाँ माँ बाप। के साथ रहते हुए उन्हें अपना स्टैंडर्ड मेंटेन करने में दिक्कत होती है।लिहाजा वे घर से बाहर बीबी बच्चों के साथ चले गये।अब माता किस हाल में हैं,इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है।ऊपर से अगर कोई भाई आर्थिक रुप से कमजोर है,तब ये और जल्दी घर छोड़कर चले जाना चाहते हैं कि कहीं भाई को सहयोग न करना पड़ जाय।
‌ सच्चाई यह है कि नैतिक शिक्षा के अभाव में परिवार ही नहीं समाज में भी अनेकों विकृतियां पनप रही है।
आपसी संबंधों में बढ़ती दूरियाँ, सामंजस्य का घटता अभाव,मर्यादाओं का गिरता स्तर,महिलाओं/बेटियों के साथ हो रही घटनाएं सब इसी का परिणाम है।
यदि इस पर तत्काल ध्यान न दिया गया तो हमारे समाज का ताना बाना बिखरने से नहीं बच सकेगा।पारिवारिक और सामाजिक सद्भाव बिगड़ने से समाज ही नहीं देश को भी मुश्किलों का सामना करने से कोई रोक नहीं पायेगा।
अतः पूर्व की भाँति नैतिक शिक्षा को अनिवार्य विषय के रुप में कम से कम इंटर तक तत्काल अनिवार्य किया जाना चाहिए।
✍ सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 376 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमारे ख्याब
हमारे ख्याब
Aisha Mohan
धार्मिक सौहार्द एवम मानव सेवा के अद्भुत मिसाल सौहार्द शिरोमणि संत श्री सौरभ
धार्मिक सौहार्द एवम मानव सेवा के अद्भुत मिसाल सौहार्द शिरोमणि संत श्री सौरभ
World News
*घने मेघों से दिन को रात, करने आ गया सावन (मुक्तक)*
*घने मेघों से दिन को रात, करने आ गया सावन (मुक्तक)*
Ravi Prakash
"हमें पता है"
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छी बात है
अच्छी बात है
Ashwani Kumar Jaiswal
खुद के होते हुए भी
खुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
*एक मां की कलम से*
*एक मां की कलम से*
Dr. Priya Gupta
3883.*पूर्णिका*
3883.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिश्ता गहरा आज का,
रिश्ता गहरा आज का,
sushil sarna
मेरे बाबूजी लोककवि रामचरन गुप्त +डॉ. सुरेश त्रस्त
मेरे बाबूजी लोककवि रामचरन गुप्त +डॉ. सुरेश त्रस्त
कवि रमेशराज
#अभिनंदन
#अभिनंदन
*प्रणय प्रभात*
पढी -लिखी लडकी रोशन घर की
पढी -लिखी लडकी रोशन घर की
Swami Ganganiya
* विजयदशमी मनाएं हम *
* विजयदशमी मनाएं हम *
surenderpal vaidya
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
जिस समय से हमारा मन,
जिस समय से हमारा मन,
नेताम आर सी
'हक़' और हाकिम
'हक़' और हाकिम
आनन्द मिश्र
हो कहीं न कहीं ग़लत रहा है,
हो कहीं न कहीं ग़लत रहा है,
Ajit Kumar "Karn"
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
Ranjeet kumar patre
आओ मृत्यु का आव्हान करें।
आओ मृत्यु का आव्हान करें।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Good morning 🌅🌄
Good morning 🌅🌄
Sanjay ' शून्य'
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
वनिता
वनिता
Satish Srijan
- रिश्तों को में तोड़ चला -
- रिश्तों को में तोड़ चला -
bharat gehlot
संतुष्टि
संतुष्टि
Dr. Rajeev Jain
थोड़ा नमक छिड़का
थोड़ा नमक छिड़का
Surinder blackpen
कई रात को भोर किया है
कई रात को भोर किया है
कवि दीपक बवेजा
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
जो संस्कार अपने क़ानून तोड़ देते है,
जो संस्कार अपने क़ानून तोड़ देते है,
शेखर सिंह
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Dear me
Dear me
पूर्वार्थ
Loading...