नेपाल: मधेश बनाम मिथिला।
नेपाल: मधेश बनाम मिथिला।
-आचार्य रामानंद मंडल
आइ कालि पड़ोसी देश नेपाल में मधेश के लेके हंगामा मचल हैय।कि आठ जिला जे मिथिला क्षेत्र हैय,वोकरा नेपाली संसद दू तिहाई मत से मधेश प्रदेश नाउ घोषित कै देलिके। पहिले एकर नाम प्रांत नंबर-०२ रहै।
अइ ऐतिहासिक घटना के लेल नेपाल में राजशाही के समाप्त भेला पर आ प्रजातंत्र घोषित भेला के घटना के देखनाइ आवश्यक हैइ।
वर्तमान संविधान -2015 सातवां संविधान हैइ।2007 के अंतरिम संविधान आ 2006 के शांति समझौता से निर्देशित हैइ।
नयका संविधान लैंगिक भेदभाव पूर्ण हैइ।इ एकल महिला के बच्चा के नागरिकता देबे से मना करैय छैय। नागरिकता के लेल माय बाप के नेपाली नागरिक होनाइ आवश्यक हैइ। विदेशी महिला से शादी करने वाले नेपाली नागरिक के बच्चा के नेपाली नागरिकता मिलतै परंच विदेशी महिला मां को नागरिकता नै मिलतै।अइ आधार पर मधेशी समुदाय,जे सीमा पार भारतीय महिला के संग विआह करै छैय, असमानता से प्रभावित होइ छैय। मधेशी लोग उत्तर भारत के लोग से जाति आ सामाजिक रूप से जुड़ल हैइ।
मधेशी राजनीतिक दल राज्य में आनुपातिक प्रतिनिधित्व के मांग करैत रहे। परंच तराई क्षेत्र के75 में20 जिला में50 प्रतिशत आबादी रहै हैइ।संसद में165 में100सीट पहाड़ी आ पर्वतीय क्षेत्र के। जौं कि कुल आबादी के50 प्रतिशत से भी कम हैइ। जौं कि तराई के आबादी 50प्रतिशत सं ज्यादा हैइ।आ तराई क्षेत्र के65 सीट देल गेल हैय।
अइ लेल मधेशी विरोध में मधेश आन्दोलन चलैलक। मधेश आन्दोलन मुख्य रूप से राजनीतिक आंदोलन हैइ।
पहिला मधेश आन्दोलन- 2007
अंतरिम संविधान के घोषणा के बाद शुरू भेल। संविधान में मधेशी आ हाशिया के समुदाय आ जातिय समुदाय के समान प्रतिनिधित्व के अनदेखी पर।जन आन्दोलन राज्य के पुनर्गठन के राष्ट्रीय विमर्श में जातीय राष्ट्रवाद के प्रमुख मुद्दा बनल।पहिला आंदोलन संविधानिक पहिचान, प्रतिनिधित्व आ राजनीतिक शक्ति के कुछ हद तक लावे में सफल भेल।इ आंदोलन राज्य के खिलाफ जातीय समूह के शिकायत के परिणाम रहें।
दोसर मधेश आन्दोलन-2008
दोसर आंदोलन संघवाद, आनुपातिक प्रतिनिधित्व आ जनसंख्या के अनुसार चुनाव क्षेत्र के लेल भेल। जनसंख्या के आधार पर चुनाव क्षेत्र आ संघवाद मान लेल गेल।
तेसर मधेश आन्दोलन-2015
सामाजिक परिवर्तन के आंदोलन बाद भी मधेशी के संग गलत व्यवहार आ समान अधिकार सं बंचित राखल गेलैय।
संघीय प्रांत के अनुचित गठन आ तराई के केवल आठ जिला के एकटा प्रान्त बनायल गेल। जौं कि चौदह जिला पहाड़ी क्षेत्र से रहे।
भागेदारी आ आनुपातिक प्रतिनिधित्व-
राज्य के अंगों आ सार्वजनिक रोजगार में45प्रतिशत सत्तरह समूहों के लिए आरक्षित हैइ। सामाजिक रूप से पिछडल महिला, दलित, आदिवासी, जनजाति,खास आर्य,थारू, अल्पसंख्यक समूह, विकलांग, हाशिया समूह, मुस्लिम, पिछड़ा वर्ग,, लिंग आ धर्मनिरपेक्ष रुप से अल्पसंख्यक समूह, युवा, किसान, मजदूर,उत्पीडीत आ पिछड़ा क्षेत्र के नागरिक।इ सामान्य विभाजन रहै। युवा आ ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहेवाला मधेशी या खास आर्य, पहाड़ी उच्च जाति समुदाय से पहिले से ही राजनीति में प्रमुख हैइ,आ एक ही श्रेणी में आवैत रहे।
मधेशी आंदोलन बाइस जिला के मधेश प्रदेश के लेल रहे। परंच आठ जिला के संसद दो तिहाई मत से मधेश प्रदेश तथा राजधानी जनकपुर धाम घोषित कै देल के,जे नंपहिले प्रांत नंबर-०२ रहै।
आबि विवाद इ हैइ कि जौ बाइस जिला के मधेश प्रदेश रहितै जे चूरे पर्वत श्रृंखला से लेके दच्छिन सीमा भारत पुरब से पच्छिम तक हैंय त कोनो विवाद नै रहतै। परंच वर्तमान जे आठ जिला हैइ, विशुद्ध रूप से पौराणिक मिथिला क्षेत्र हैइ।तै मधेश प्रदेश के नाउ मिथिला प्रदेश रहे के चाही। जनकपुर धाम त राजधानी घोषित भे चूकल हैयै। मिथिला के संस्कृति पर इ कुठाराघात हैइ। परंच अइ मामला पर मधेशी दू फांक हैइ। मिथिला में मैथिली भाषा के आंदोलन पर दू फांक के बड़ा घड़ा गैर ब्राह्मण कायस्थ मिथिला प्रदेश के नाउ पर एक्का नै हैय।इ वर्ग सांस्कृतिक आ मैथिली भाषा के नाम पर दूतकारल आ उपेक्षित कैल गेल हैइ।अइ वर्ग के भाषा मैथिली के रार (बज्जिका)आ ठेठ मानल जाइ छैय। मैथिली अकादमी अइ वर्ग के साहित्य के मान्यता नै देइ छैय । कुछ लोग मगही के समर्थन में छैय। इ वर्ग मिथिला नाउ के ब्राह्मणवादी मानै छैय। तैं मिथिला नाउ के विरोध करैत छथि। तैं प्रदेश के नाम मधेश प्रदेश घोषित भेल। परंच मिथिला के समर्थक मिथिला आ संस्कृति के लेल उद्यम हैइ।
निष्कर्ष रूप में मधेश प्रदेश जातीय राष्ट्रवादके परिणाम हैइ।
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आलेख-
आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।