नेत्र ,दोहा
दोहा 🙏🏻🙏🏻
आँखें दर्पण बन रही,आँखें करती बात।
आँखों से आँखें मिलें, आखें करतीं घात।।
झुकती पलकों से दिखे,झीना सा संसार ।
नैनों की भाषा पढ़ो, हो जाये इज़हार।।
अधर कौमुदी छा रही, पुष्प सुगंध अपार।
बढ़ती धड़कन कह रही ,प्रेम विविध आधार
पाखी
दोहा 🙏🏻🙏🏻
आँखें दर्पण बन रही,आँखें करती बात।
आँखों से आँखें मिलें, आखें करतीं घात।।
झुकती पलकों से दिखे,झीना सा संसार ।
नैनों की भाषा पढ़ो, हो जाये इज़हार।।
अधर कौमुदी छा रही, पुष्प सुगंध अपार।
बढ़ती धड़कन कह रही ,प्रेम विविध आधार
पाखी