नेता लेकर ढोल
दड़बे से निकले पुनः,नेता लेकर ढोल।
गली गली में घूमते, मीठे-मीठे बोल।
मीठे मीठे बोल, बहुत ही सुलझी भाषा।
चरणन हाथ लगाय,लिए आंखों में आशा।।
मीठे सारे बोल,हुए जो थे कड़वे से।
लेकर मन में आस, पुनः निकले दड़बे से।।
दड़बे से निकले पुनः,नेता लेकर ढोल।
गली गली में घूमते, मीठे-मीठे बोल।
मीठे मीठे बोल, बहुत ही सुलझी भाषा।
चरणन हाथ लगाय,लिए आंखों में आशा।।
मीठे सारे बोल,हुए जो थे कड़वे से।
लेकर मन में आस, पुनः निकले दड़बे से।।