नेता बीमार
******** नेता बीमार *********
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देश का चाहे नेता बीमार है,
घूस खाने को फिर भी तैयार है।
रात को डरता लगता बेचैन है,
मौत के होने वाले दीदार है।
याद आता है खाया सारा जहां,
आदतों से अपनी वो लाचार है।
है अकेला वो अंतिम ज़िद पर अड़ा,
जान पर सीने लटकी तलवार है।
जोर मनसीरत का अब चलता नहीं,
याद आती टूटी – फूटी सरकार है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)