नेता पल्टूराम (कुण्डलिया)
जनता को भाता नहीं, उछल कूद का काम।
किस पर करें यकीन हम, नेता पल्टूराम।
नेता पल्टूराम, पलटते देर न लगती।
लेकिन किस्मत हाय, हमारी नहीं पलटती।
डूब रहा है देश, काम नेता का बनता।
चाँदी इनकी रोज, भाड़ में जाये जनता।।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 27/01/2024