नेता पलटू राम
ऐसी पलटी मारिए, सके न कोई भाँप।
राजनीति कहते इसे,है ये सबकी बाप।।
है ये सबकी बाप, इसे हर कोई माने।
नेता पलटू राम, कौन ना उनको जाने।।
फिर भी जाते जीत,वहाँ की जनता कैसी।
करती काहे वोट, हुई क्यों जनता ऐसी।।
✍️जटाशंकर”जटा”
ऐसी पलटी मारिए, सके न कोई भाँप।
राजनीति कहते इसे,है ये सबकी बाप।।
है ये सबकी बाप, इसे हर कोई माने।
नेता पलटू राम, कौन ना उनको जाने।।
फिर भी जाते जीत,वहाँ की जनता कैसी।
करती काहे वोट, हुई क्यों जनता ऐसी।।
✍️जटाशंकर”जटा”