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18 Mar 2020 · 1 min read

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस

नदी की धारा के अनुकूल भी बह सकता था
आई सी एस था बड़े चैन से रह सकता था

मगर न रास उसे आई गुलामी यारों
तभी तो दे रहा है मुल्क सलामी यारों

युवा दिलों में वो बनकर के ज्वार बैठे थे
ये था वो दौर कि गाँधी भी हार बैठे थे

छोड़कर स्वार्थ,सियासत चला गया था वो
मगर स्वतंत्रता की लौ जला गया था वो

देश के वास्ते तलवार उठाई उसने
एक राजा की तरह फौज सजाई उसने

उनकी तारीफ़ के हिटलर भी गीत गाता था
वो तानाशाह भी नेता उन्हें बताता था

करोड़ों देश के लोगों के दिल में रहता था
बोल जय हिंद सीना ठोंक कर के कहता था

गुलों से महकी हुई वादी तुम्हें मैं दूँगा
तुम मुझे खून दो आजादी तुम्हें मैं दूँगा

राज से कोई भी परदा उतार न पाया
अभी हैं ज़िंदा उन्हें वक्त मार न पाया

बागबाँ तेरे ही चरणों में चमन करता हूँ
वीर नेता जी तुम्हें दिल से नमन करता हूँ

Language: Hindi
213 Views
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