नेता जब से बोलने लगे सच
नेता जब से बोलने लगे सच
सच से विश्वास उठ गया है
नेता जब से करने लगे वादे
वादों से भरोसा हट गया है
नेता जब से करने लगे सहायता
वितृष्णा हो गई सहायता से
नेता जब से दिखाने लगे करुणा
घृणा सी हो गई करुणा से
नेता जब से बनने लगे भोले
भोलेपन में कुटिलता घुल गई
नेता जब बखानने लगे चरित्र
चरित्रलीला दागमयी हो गई
नेताओं ने जब से निःस्वार्थ सेवा की
सेवा लजा कर छुप गई तहखानों में
कैसे बताएगी कहाँ से आयी
अपार दौलत उनके खजाने में
इसलिए उतारकर रख दी तस्वीरें
सुभाष, पटेल,शास्त्री जैसे नेताओं की
फिर तभी सजाऊंगा दीवारों पर
जब परिभाषा बदलेगी नेताओं की