नेता गण
“घाट घाट और राह राह पर ,घूम रहे हैं नेता गण ,
कैसे फिर से लूटा जाये ,सोच रहे हैं नेता गण!
गिरगिट जैसे रंग बदलता ,पार्टी बदलते नेता गण,
पार्टी बदलना काफी न हो ,तो चरित्र बदलते नेता गण !
चरित्र बदलना काम न आये ,तो धर्म बदलते नेता गण,
धर्म बदलना भी काम न ,आया तो सीट बदलते नेता गण !
सीट बदलने से भी घबराये तो ,भेद बांटते नेता गण,
भेद बाँटना काम न आया तो ,देश तोड़ते नेता गण!
वोट की खातिर खुद को बेच दे ,ऐसे हैं ये नेता गण,
संसद जाने को लालायित, नोट बांटते नेता गण!
कैसे भी सत्ता मिल जाये ,जोड़ घटाते नेता गण,
ये तो कुर्सी पे चढ़ जाते ,भीख मांगती जनता गण!
६० साल को ५ साल से ,तुम मत तौलना जनता गण
अटल को तो खो दिए हो ,मोदी को न खोना पर!”
( पूजा चौकीदार )